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Monday 23 July 2012

गर इज्जत की फ़िक्र, व्याह करते हो काहे -रविकर

बजे बाँसुरी बेसुरी, काट फेंकते बाँस ।
यही मानसिकता करे, कन्या भ्रूण विनाश ।

कन्या भ्रूण विनाश, लाश अपनी ढो लेंगे ।
नहीं कहीं अफ़सोस, कुटिल कांटे बो देंगे ।

गर इज्जत की फ़िक्र, व्याह करते हो काहे  ?  
नारी पर अन्याय, भरोगे आगे आहें ।।

Saturday 21 July 2012

यह मर्दों की जात, नहीं अब पहले जैसी : इस ब्लॉग की 50 वीं पोस्ट


प्रगतिशील नारी खड़ी, पति से हुआ विवाद ।
पर पुत्री की दुर्दशा, हो तलाक के बाद ।

हो तलाक के बाद, साथ माँ के न जाये ।
भाय पिता का साथ, पुलिस चौकी ले आये ।

बेटी मानो बात, पिता की ऐसी-तैसी ।
यह मर्दों की जात, नहीं अब पहले जैसी ।।


Wednesday 18 July 2012

द्वार द्वार पर जाय, जगाय "हमारी वाणी" -रविकर

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वाणी अपनी श्रेष्ठतम, तम हरती दिन-रात |
सद्पथ करती अग्रसर,  ब्लॉगों की बारात |

ब्लॉगों की बारात, सफ़र यह दो सालों का |
बड़ी मुबारकवाद,  मिला रविकर को मौका |

आयोजक आभार, कर्म कुल जग-कल्याणी |
द्वार द्वार पर जाय, जगाय "हमारी-वाणी" |

काका का वो कहकहा, कथ्यों का आनंद-

http://3gpsongs.net/blog/wp-content/uploads/2011/07/rajesh.jpg

काका का वो कहकहा, कथ्यों  का आनंद ।
वर्षों से पड़ता रहा, मंद मंद अब बंद ।

मंद मंद अब बंद, सुपर-स्टार बुलवाये  ।
तारा मंडल बड़ा, गगन पर प्रभु जी लाये ।

चमकोगे  अनवरत,  दिखोगे छैला बांका ।
खूब करो आनंद, प्रेम नगरी में काका ।।

Sunday 15 July 2012

तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज-

तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज

बहुत कठिन है डगर पनघट की .....

संजय @ मो सम कौन ?

 
 कर्तव्यों की इतिश्री, बच्चे बनते बोझ ।
तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज ।

रिंग-कटर ली खोज, पुरानी हुई अंगूठी ।
दिखा रास्ता सोझ, गजब अपनों से रूठी ।

 
किन्तु रास्ता ख़त्म, सामने लम्बी खाईं ।
विवाहेत्तर कोढ़, समझ में किसके आई ?? 

Saturday 14 July 2012

सदा खिलाना गुल नया, नया कजिन मुसकाय -


करे बहाना आलसी,  अश्रु बहाना काम |
होय दुर्दशा देह की,  जब से लगी हराम  ।।

अन्न पकाना छोड़ दी, कान पकाना रोज   |
सास-बहू में पिस रहा, अभिनेता मन खोज ।।

दही जमाना भूलती, रंग जमाना याद |
करे माडलिंग रात-दिन, बढ़ी मित्र तादाद ||

पुत्र खिलाना भाय ना, निकल शाम को जाय |
सदा खिलाना गुल नया,  नया कजिन मुसकाय ||

Friday 13 July 2012

बड़े बड़े संस्थान, खुले विद्वानों खातिर | रहें उसी में कैद, नहीं तो होंगे शातिर ||

गौहाटी 
घृणित-मानसिकता गई,  असम सड़क पर फ़ैल ।
भीड़ भेड़ सी देखती, अपने मन का मैल ।

News for gauhati assam news

India Today
Drunkards molest girl as public watches and police dithers
Indian Express‎ - 8 hours ago
Guwahati: Three youths have been arrested on the charge of molesting a girl in a busy area here even as Assam Chief Minister Tarun Gogoi .. 
अपने मन का मैल, बड़ा आनंद उठाती ।
करे तभी बर्दाश्त, अन्यथा शोर मचाती ।

 
भेड़ों है धिक्कार, भेड़िये सबको खाये  ।
हो धरती पर भार , तुम्हीं तो नरक मचाये ।।

रोला 
बड़े बड़े संस्थान, खुले विद्वानों खातिर |
रहें उसी में कैद, नहीं तो होंगे शातिर || 

Tuesday 10 July 2012

खा बीबी की झाड़, चढूं न चना झाड़ पर-

 किसी ने बताया कि 
उसे सीढी के रूप में इस्तेमाल करने का फंडा 
बड़ा पुराना है ।
प्रत्युत्तर कुंडली में
  अलंकार भी देखें-
मतलब पेंट कर दिया है-

कभी झाड़ पर न चढूं, चना होय या ताड़ | 
 बड़ा कबाड़ी हूँ सखे, पूरा जमा कबाड़ | 

पूरा जमा कबाड़, पुरानी सीढ़ी पायी | 
जरा जंग की मार, तनिक उसमे अधमायी |

 झाड़-पोंछ कर पेंट, रखा है उसे टांड़ पर | 
खा बीबी की झाड़, चढूं न चना  झाड़ पर ||
 दोहे 
पीड़ा बेहद जाय बढ़, अंतर-मन अकुलाय ।
जख्मों की तब नीलिमा, कागद पर छा जाय । 1।
 
शत्रु जान से मार दे,  आन रखूं महफूज ।
लांछन लगे चरित्र पर, तो उपाय क्या दूज ??
 
रविकर पूंजी नम्रता, चारित्रिक उत्कर्ष ।
दुर्जन होवे दिग्भ्रमित, समझ दीनता *अर्श ।।
*अश्लील 
 गलती पर मांगे क्षमा, वह अच्छा इन्सान  ।
बिन गलती जो माँगता, पाये वह अपमान ।।


 चबवाये नाकों चने, लहराए हथियार ।
 चनाखार था पास में, देता रविकर डार ।।